हर राज्य में नोडल ऑफिसर:स्टूडेंट सुसाइड के मामलों के चलते SC ने नेशनल टास्क फोर्स बनाई थी; 1 लाख लोग भर चुके हैं सर्वे

स्टूडेंट सुसाइड की समस्या के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई गई नेशनल टास्क फोर्स यानी NTF अब सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में अपना नोडल ऑफिसर तैनात करेगी। NTF ने शनिवार, 6 सितंबर को इसकी जानकारी दी। नोडल ऑफिसर NTF के काम में मदद करेंगे। दरअसल, SC ने हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ और सुसाइड से निपटने के लिए मार्च, 2025 में 12 सदस्यों की नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया था। इस टास्क फोर्स को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस रविंद्र भट्ट लीड कर रहे हैं। टास्क फोर्स ने जानकारी दी कि स्टूडेंट्स, फैकल्टी, पेरेंट्स और बाकी लोगों के लिए सर्वे लॉन्च किया गया था, जिसे अब तक 1 लाख से ज्यादा लोग भर चुके हैं। 12 सितंबर तक HEI डेटा जमा करें NTF की जारी की गई स्टेटमेंट में ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन यानी AISHE पर रजिस्टर्ड सभी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स, यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों को 12 सितंबर तक यह सर्वे भरने के लिए कहा गया है। इसी के साथ ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन, फॉर्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, बार काउंसिल ऑफ इंडिया जैसी रेगुलेटरी बॉडीज को भी डेटा देने के लिए कहा गया है। डिपार्टमेंट ऑफ हायर एजुकेशन से मेंटल हेल्थ सर्विस हैं या नहीं, सुसाइड या सुसाइड अटेंप्ट का रिकॉर्ड, स्टूडेंट ड्रॉपआउट, शिकायत निवारण समितियां और स्टूडेंट्स की मेंटल वेल-बीइंग के लिए चैलेंजेस क्या है- जैसे अलग-अलग कैटेगरीज के आधार पर भी डेटा मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने NTF का गठन किया देशभर के हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स के कैंपस में सुसाइड करने वाले स्टूडेंट्स के पेरेंट्स ने कोर्ट में पेटिशन दायर की थी। इनमें रोहित वेमुला और पायल तड़वी के माता-पिता भी शामिल थे। उनका पक्ष था कि कॉलेजों के कैंपस में स्टूडेंट्स की परेशानियों जैसे भेदभाव, बुलिंग से निपटने के लिए कुछ नहीं है। इसी के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स के गठन क फैसला सुनाया था। कोर्ट ने NTF के लिए मेंडेट भी जारी किया था। इसके अनुसार NTF का काम स्टूडेंट सुसाइड के कारणों की पहचान करना है। इनमें रैगिंग, भेदभाव, एकेडमिक प्रेशर, फाइनेंशियल बर्डन और मेंटल हेल्थ से जुड़ा स्टिगमा जैसे कारण शामिल रहेंगे। इसके अलावा NTF का काम इन कारणों से इतर स्टूडेंट सुसाइड के दूसरे कारणों की पहचान करना भी है। साथ ही उसे वर्तमान में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में मौजूद रेगुलेशन्स को एनालाइज करना है ताकि वो क्यों फेल साबित हो रहे हैं यह पता किया जा सके। इसी के साथ इनकी जगह क्या रेगुलेशन्स अपनाए जा सकते हैं जिससे स्टूडेंट सुसाइड कम हो और उनकी मेंटल हेल्थ में सुधार हो, इसपर भी NTF को ही काम करना है। NTF ने अगस्त में लॉन्च की थी वेबसाइट अगस्त में NTF ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसी दौरान वेबसाइट भी लॉन्च की थी। इस दौरान 5 सर्वे भी जारी किए गए, जिसके जरिए स्टूडेंट्स सुसाइड के मामलों को लेकर डेटा जुटाया जाना है। शनिवार को NTF ने बताया कि 80 हजार स्टूडेंट्स, 10 हजार फैकल्टी मेंबर्स, 15 हजार पेरेंट्स और 8 हजार अन्य लोग सर्वे भर चुके हैं। इसी के साथ 700 मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स भी सर्वे में हिस्सा ले चुके हैं। टास्क फोर्स दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक और तमिलनाडु के 13 इंस्टीट्यूट्स में जा चुके हैं। स्टूडेंट्स की मेंटल हेल्थ कॉलेजों की जिम्मेदारी- सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था….. 13,000 से ज्यादा छात्रों ने आत्महत्या की – NCRB रिपोर्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 13,000 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की, जो पिछले दशक की तुलना में लगभग दोगुना है। 2022 के आंकड़ों में आत्महत्याओं में 7.6% हिस्सेदारी छात्रों की थी, जिनमें से 1.2% मामलों की वजह करियर या प्रोफेशनल समस्याएं और 1.2% परीक्षा में असफलता रही। ऐसी ही और खबरें पढ़ें… ‘मां-बाबा माफ करना, बुढ़ापे का सहारा नहीं बन सकूंगा’:24 साल के B.Tech. स्टूडेंट का सुसाइड; आत्महत्या करने वालों में 8% स्टूडेंट्स अगर आप यह पढ़ रहे है तो मैं मर चुका हूं। मेरी मौत मेरा खुद का फैसला है। इसमें कोई शामिल नहीं है। मैं यह करीब एक साल से प्लान कर रहा था। ये दुनिया मेरे लिए नहीं है या शायद मैं इसके लिए नहीं हूं। पूरी खबर पढ़ें… छात्र सुसाइड केस, सुप्रीम कोर्ट की राजस्थान सरकार को फटकार:पूछा- स्टूडेंट्स कोटा में ही क्यों जान दे रहे, इसे रोकने के लिए अब तक क्या किया स्टूडेंट्स सुसाइड मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कोटा में हो रहे स्टूडेंट्स सुसाइड के मामलों को भी गंभीर बताया और राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। पूरी खबर पढ़ें…

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