UPPSC मेन्‍स तय डेट पर ही होगा:इलाहाबाद हाईकोर्ट के रोक लगाने के फैसले पर स्‍टे; OBC कैंडिडेट्स को नहीं मिली थी अनरिजर्व्ड सीट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने सिंगल बेंच के उस फैसले पर स्‍टे लगा दिया है जिसमें UPPSC की 609 पदों के लिए होने वाली मेन्‍स परीक्षा पर रोक लगाने का निर्देश दिया था। परीक्षा अब तय डेट यानी 28 और 29 सितंबर को ही होगी। हालांकि, मेन्‍स एग्‍जाम के रिजल्‍ट मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद ही जारी किए जाएंगे। 25 सितंबर को कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया था कि मेन्‍स परीक्षा तब तक स्‍थगित रहेगी, जब‍ तक प्रीलिम्‍स परीक्षा की संशोधित मेरिट लिस्ट तैयार नहीं हो जाती। दरअसल, परीक्षा में शामिल हुए कुछ आरक्षित वर्ग के उम्‍मीदवारों ने हाईकोर्ट में शिकायत की थी, कि सामान्‍य वर्ग के कैंडिडेट्स से ज्‍यादा स्‍कोर करने के बावजूद उन्‍हें अनारक्षित सीट के लिए क्‍वालिफाई नहीं किया गया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, ‘ परिस्थितियों को देखते हुए, सभी याचिकाएं स्वीकार की जाती हैं। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग याचिकाकर्ता उम्मीदवारों की प्रीलिम्‍स परीक्षा की मेरिट लिस्ट दोबारा तैयार करे, ताकि वे मेन्‍स परीक्षा के अगले चरण के लिए योग्य हो सकें। इसके बाद ही आयोग नोटिफिकेशन नंबर A-3/E-1/2024 तारीख 10.4.2024 के तहत मेन्‍स परीक्षा आयोजित कर सकेगा।’ सिंगल बेंच ने मेन्‍स परीक्षा पर रोक लगाई थी जस्टिस अजीत कुमार की सिंगल बेंच ने टिप्पणी की थी, कि कई OBC उम्मीदवार, जिन्होंने सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के बराबर या उनसे ज्‍यादा नंबर हासिल किए थे, उन्हें केवल आरक्षित सूची में ही क्‍वालिफाई किया गया। कोर्ट ने कहा कि यह समान व्यवहार के नियम का उल्लंघन है, क्योंकि आरक्षित वर्ग के वे अभ्यर्थी जो सामान्य वर्ग के बराबर प्रदर्शन करते हैं, उन्हें अनारक्षित श्रेणी में भी शामिल किया जाना चाहिए। अब हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले पर स्‍टे लगा दिया है और आयोग को तय डेट पर एग्‍जाम कराने की इजाजत दे दी है। 28, 29 सितंबर को होगी मेन्‍स परीक्षा UPPSC भर्ती के तहत असिस्‍टेंट इंजीनियर, डिस्ट्रिक्‍ट हॉर्टिकल्‍चर ऑफिसर, फूड प्रोसेसिंग ऑफिसर और विभिन्न विषयों में सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट के कुल 609 पदों पर भर्ती की जाएगी। मेन्‍स परीक्षा का आयोजन 28 और 29 सितंबर को होना है। 1:15 के रेश्‍यो का भी नहीं हुआ पालन याचिकाकर्ताओं का ये भी कहना था कि UPPSC ने नोटिफिकेशन में बताए गए 1:15 रेश्‍यो का भी पालन नहीं किया। यानी मेन्‍स परीक्षा में हर 1 खाली पद के लिए 15 कैंडिडेट्स को शॉर्टलिस्‍ट किया जाना था। अन-रिजर्व कैटेगरी से कम कैंडिडेट्स क्‍वालिफाई हुए जिसके चलते कम ही कैंडिडेट्स को मेन्‍स के लिए क्‍वालिफाइड घोषित किया गया। क्‍या है भर्तियों में आरक्षण का नियम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आरक्षित कैटेगरी का उम्मीदवार सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के बराबर या उससे बेहतर प्रदर्शन करता है और उसे उम्र या शुल्क में छूट के अलावा कोई और फायदा नहीं मिला है, तो ऐसे उम्मीदवार को अनारक्षित लिस्‍ट में शामिल किया जाना चाहिए। —————— ये खबरें भी पढ़ें… भारत में एक-चौथाई वर्क फोर्स महिलाएं: लेकिन मैनेजर लेवल पर सिर्फ 8%- रिपोर्ट में दावा; क्‍या है ‘द ब्रोकन रंग’ फैक्‍टर भारत में काम करने वाले लोगों में 26% महिलाएं हैं, लेकिन पिछले तीन सालों से इस आंकडे में कोई बदलाव नहीं आया है। इसी के साथ जैसे-जैसे महिलाएं सीनियर पदों की ओर बढ़ती हैं, वर्कप्लेसेज पर उनकी संख्या घटती जाती है। पूरी खबर पढ़ें…

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